अलंकार किसे कहते हैं?
Alankar Kise Kahate Hain अलंकार शब्द का अर्थ है "आभूषण"। जिस प्रकार आभूषण किसी व्यक्ति की सुंदरता को बढ़ाते हैं, उसी प्रकार अलंकार भी किसी रचना की सुंदरता को बढ़ाते हैं।
साहित्य में, अलंकार शब्द का प्रयोग उन विशेष शब्दों, वाक्यांशों और रचनाओं के लिए किया जाता है जो किसी रचना में चमत्कार, प्रभाव और सौंदर्य उत्पन्न करते हैं। अलंकार रचना को रोचक, प्रभावशाली और मनोरंजक बनाते हैं।
अलंकार के दो मुख्य प्रकार होते हैं:
1. शब्दालंकार: शब्दालंकार शब्दों के प्रयोग से उत्पन्न होने वाले अलंकार होते हैं। इनमें अनुप्रास, यमक, श्लेष, रूपक, उपमा, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति, विरोधाभास, संदेह, दीपक, स्मरण, आदि अलंकार शामिल हैं।
2. अर्थालंकार: अर्थालंकार रचना के अर्थ से उत्पन्न होने वाले अलंकार होते हैं। इनमें उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति, विरोधाभास, संदेह, दीपक, स्मरण, आदि अलंकार शामिल हैं।
अलंकारों का उपयोग विभिन्न प्रकार की रचनाओं में किया जाता है, जैसे कि कविता, कहानी, नाटक, निबंध, भाषण, आदि। अलंकारों का उचित प्रयोग रचना को प्रभावशाली और मनोरंजक बनाता है।
यहाँ कुछ अलंकारों के उदाहरण दिए गए हैं:
अनुप्रास:
"तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।"
यमक:
"चंचल चितवन चकोर चकित चित्त चंचल चकोरी।"
श्लेष:
"एक अक्षर में अनेक अर्थ, श्लेष अलंकार कहलाए।"
रूपक:
"मेघ माला झूम रही है, आकाश पर मधु बरस रहा है।"
उपमा:
"तेरे मुख की चमक चाँद जैसी है।"
उत्प्रेक्षा:
"वह इतनी सुंदर है कि देखकर ऐसा लगता है जैसे कोई अप्सरा धरती पर उतर आई हो।"
अतिशयोक्ति:
"मैंने इतना भोजन किया है कि अब मेरा पेट पहाड़ जैसा हो गया है।"
विरोधाभास:
"वह शांत है, परंतु उसके अंदर तूफान छुपा है।"
संदेह:
"क्या यह सपना है या सच है?"
दीपक:
"जैसे दीपक से प्रकाश फैलता है, वैसे ही ज्ञान से भी प्रकाश फैलता है।"
स्मरण:
"उसकी यादें मुझे बार-बार सताती हैं।"
अलंकारों का उपयोग रचना को प्रभावशाली और मनोरंजक बनाने के लिए किया जाता है। अलंकारों का उचित प्रयोग रचना को सौंदर्य प्रदान करता है और उसे यादगार बनाता है।